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लेखनी कविता -20-Mar-2022

अब इस माहौल से अजनबीपन महसूस होने लगा है,

आज की मशीनी दौड़ में अपना आप खोने लगा है,


सुबह जल्दी-जल्दी उठकर काम पर जाना होता है,

वो वक्त नहीं मिलता जो अपनों संग बिताना होता है,


कामकाज में ऐसे उलझे कि जिंदगी जीना भूल गए

मार्च क्लोजिंग तो याद रही, सावन महीना भूल गए


छोटी छोटी बातों पर अब तो रिश्ते बिखरने लगे हैं,

हल्के से मज़ाक भी अब तो तंज जैसे दिखने लगे हैं,


एसी की ठंडी हवाओं से अब दम सा घुटने लगा है,

सब पा कर भी कुछ है जो शायद पीछे छूटने लगा है।


वो मस्ती, वो बचपना ना जाने कब-कहां खो गया है।

आज इन्सान इन्सान ना रह कर रोबोट सा हो गया है।

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3 Comments

Swati chourasia

21-Mar-2022 08:05 AM

बहुत खूब 👌

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Gunjan Kamal

20-Mar-2022 11:59 PM

बहुत खूब

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Dr. Arpita Agrawal

20-Mar-2022 11:41 PM

बेहतरीन 👌👌

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